अहसास नही अब कोई बाकी।
रोते - रोते हँस देता हूँ,
हँसते-हँसते रो पड़ता हूँ।
हूँ क्या अब तो ये याद भी नही बाकी।
चला जा रहा हूँ,
अब तो मंजिल की तलाश भी नही बाकी।
ना खुशी हसाती है,
और ना गम ही रुलाता है।
और ना ही दर्द का अहसास,
तू जो नही है तो अहसास नही कोई बाकी॥
१५-१०-२००८
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