Sunday, December 20, 2020

ज़िन्दगी बस युहीं निकली जा रही है....

जीना है या मर जाना है, बस 
ज़िंदगी इसी पेशोपेश में निकली जा रही है। 
ना उसको मेरी फ़िक्र ना मुझे उसकी 
बस ज़िंदगी इसी तरह निकलती जा रही है। 
ना जाने कौनसा पड़ाव आखरी हो इस जीवन का,
ना उसको इस की परवाह ना मुझे इस की फिक्र।
बस ज़िन्दगी... ... 


Tuesday, November 3, 2020

चंचल तेरे नयन

तेरे नयन है चितचोर बड़े ,
मेरे मन को पढ़ लेते है बिन बोले


श्याम मेरे भव सागर से पार करादे


 भाग जाना चाहता हूँ जीवन की इस आपा- धापी से ,
थक गया हूँ तकदीर की इस बेरुखी से 
कहाँ जाऊ किसे सुनाऊ ,
कौन है मेरा जिसे बताउ 
हाल मेरा जाने समझे ना कोय 
मन मेरा भटके है उस पंछी कि तरह 
जो भटक गया है अपने घर का रास्ता 
अब तो आजा मेरे श्याम मुझे रास्ता दिखा जा 
कब तक भटकु इस भव साग़र में 
अब तो पार करादे।