शायद तेरा-मेरा प्यार कमजोर ही था,
वरना क्या वजह थी की हम दूर हो गए।
इतने दूर कि जीते-जी क्या शायद मरने पर भी न मिल सकें।
शायद चाहत ही काम थी वरना तेरा
घुटनों पर मंदिर चढ़ना या मेरा घंटों मंदिर में तुझें मांगना ....
क्या हम मिल नहीं गए होते ?
शायद किसी और की चाहत हमारे लिए ज्यादा थी।
कि किस्मत ने लिख दी अलग-अलग तक़दीरे
इक साथ लिखते-लिखते।
कहना चाहता हूँ बहुत पर शब्द साथ नहीं देते ,
कागज़ पर उकेरना चाहता हूँ बहुत पर हाथ साथ नहीं देते।
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