Tuesday, February 27, 2024

Untitled

 शायद तेरा-मेरा प्यार कमजोर ही था,

वरना क्या वजह थी की हम दूर हो गए। 

इतने दूर कि जीते-जी क्या शायद मरने पर भी न मिल सकें। 

शायद चाहत ही काम थी वरना तेरा 

घुटनों पर मंदिर चढ़ना या मेरा घंटों मंदिर में तुझें मांगना ....

क्या हम मिल नहीं गए होते ?

 शायद किसी और की चाहत हमारे लिए ज्यादा थी। 

कि किस्मत ने लिख दी अलग-अलग तक़दीरे 

इक साथ लिखते-लिखते। 




कहना चाहता हूँ बहुत पर शब्द साथ नहीं देते ,

कागज़ पर उकेरना चाहता हूँ बहुत पर हाथ साथ नहीं देते। 



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