Saturday, November 5, 2022

तेरा दीदार

 बरसो बीत गये तेरी एक झलक पाने को,

तरस गए ये नयन तेरे एक दीदार को। 

कहाँ गुम हो गया तू ज़माने की इस भीड़ में ,

बरसों बीत गए तुझे तलाशनें में। 

अब तो आलम ये है कि चाँद में भी ढूंढा करता हूँ अस्क  तेरा ,

और शिकायत करता हूँ सूरज के आने से। 

ना जाने कब पूरी होगी ये तलाश , तेरे दीदार की ,

कि अब साँस भी छोड़ने लगी है साथ। 

अंतिम घड़ी नज़दीक खड़ी है ,

लड़खड़ाती साँसों को आज भी है तेरा इंतज़ार। 

खड़ा हूँ आज भी उस राह पर, जहाँ

तू मुझे छोड़ चल पड़ा था अकेले। 


 

 

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