Monday, May 26, 2008

दुआ..

"जिंदगी एक भोर की मानिंद देती है दस्तक,
कौन सा पल कैसे गुजरे,कौन जान पाया अब तलक।
सूरज से उगते सुख के साथ,पंछी से चहकते रहिये,
गहराती अँधेरी रात में चाँद से चमकते रहिये, यही दुआ है मेरी। "

१ जन-२००२

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