फिर आज तेरी याद आई , आँखों में फिर घटा छाई।
मैने तो सोचा था, भूल गया हूँ मैं तुझको ,
लेकिन फिर आज तेरी याद आई।
क्यों याद आते हो तुम, जब यू ही राह में छोड़ कर चल दिए थे।
और पलट कर भी ना देखा कि किस हाल में हूँ मैं।
क्यों याद आते हो तुम मुझे , जब तुम्हारा मेरा कोई नाता ही नहीं।
प्यार ? वो तो सिर्फ एक धोखा है।
एक छलावा है।
जिसे सिर्फ मैं अकेला ढो रहा हूँ।
और प्यार ? वो तो तुझे कभी था ही नहीं।
मैं ही पागल था जो तेरे साथ को तेरा प्यार समझ बैठा।
तू तो अपनी दुनिया में मस्त था, और मैं तेरी हर एक तरक्की पर खुश था.
और फिर जैसे ही तू पहुंच गया अपने मक़ाम पर ,
मेरा साथ ,मेरा प्यार चुभने लगा तेरी आँखों में।
मैं भूलना चाहता हूँ वो सब लम्हें ,
जो हमने साथ बिताये थे।
पर क्या करू इन सपनों का, कि वो बिन बुलाये चले आते है।
और फिर वही अहसास दे जाते हैं।
तुझे अगर मुझ से प्यार होता तो तू यूं जाता छोड़ मुझे, कभी वापस ना आने के लिये ?
मैं जानता हूँ की तू बढ़ चूका है आगे , मुझे भूल कर।
और सिर्फ मैं ही तुझे याद करता हूँ.
बढ़ तो मैं भी रहा हूँ, पैर जाने क्यों आज फिर बैचैन बहुत हूँ.
समझ नहीं पा रहा हूँ की क्यों तू याद आ रहा है.
जानता हूँ कि तू मेरा नहीं , फिर भी मचल जाता है ये दिल
तुझसे मिलने को ए दोस्त।
पता नहीं क्यों?
क्या तेरे साथ भी ऐसा कुछ होता है?