भाग जाना चाहता हूँ जीवन की इस आपा- धापी से ,
थक गया हूँ तकदीर की इस बेरुखी से
कहाँ जाऊ किसे सुनाऊ ,
कौन है मेरा जिसे बताउ
हाल मेरा जाने समझे ना कोय
मन मेरा भटके है उस पंछी कि तरह
जो भटक गया है अपने घर का रास्ता
अब तो आजा मेरे श्याम मुझे रास्ता दिखा जा
कब तक भटकु इस भव साग़र में
अब तो पार करादे।